Environment Studies -Part-12
June 18, 2021

- चक्रवात अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं – मैंग्रोव वन
- ओडि़शा के केंद्रपाड़ा जिले में ब्राह्मणी, वैतरणी और महानदी डेल्टा क्षेत्र में स्थित है – भितरकनिका गरान
- यह मैंग्रोव वनों के लिए प्रसिद्ध है। यह एक रामसर स्थल (वर्ष 2002 में घोषित) भी है – भितरकनिका गरान
- सही कथन हैं – टैक्सस वृक्ष हिमालय में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, टैक्सस वृक्ष रेड डाटा बुक में सूचीबद्ध है, टैक्सस वृक्ष से ‘टैक्सॉल‘ नाम औषध प्राप्त की जाती है, जो पार्किन्सन रोग के विरुद्ध प्रभावी है।
- सही कथन है – विश्व वन्य जीवन कोष की स्थापना 1961 में हुई, जुलाई, 2000 में उड़ीसा के नन्दन वन अभ्यारण्य में 13 शेरों की मृत्यु का कारण ट्राइपनासोमिएसिस रोग रहा, भारत का सबसे बड़ा जीवनशाला कोलकाता में अवस्थित है।
- यूकेलिप्टस वृक्ष को कहा जाता है – पारिस्थितिक आतंकवादी
- ये उष्ण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये मुख्यत: मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका के सदाबहार वनों में पाए जाते हैं – स्पाइडर वानर
- भारतीय प्राणिजात जो संकटापन्न हैं – घडि़याल, चर्मपीठ कूर्म (लेदरबैंक टर्टल) तथा अनूप मृग
- भारत में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं – ताराकुछुआ, मॉनीटर छिपकली तथा वामन सुअर
- भारत में पाई जाने वाली नस्ल ‘खाराई ऊँट’ के बारे में अनूठा क्या है –यह समुद्र-जल में तीन किमी तक तैरने में सक्षम है, यह मैंग्रोव (Mangroves) की चराई पर जीता है।
- ये ऊँट कच्छ (गुजरात) में पाए जाते हैं – खाराई ऊँट
- इन ऊँटों को संकटग्रस्त प्रजाति (Endangered Species) घोषित किया गया है – खाराई ऊँट
- ये वन जैव-विविधता के संरक्षक होने के साथ समुद्र और तट के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं और तट को समुद्र की ओर से आने वाली तीव्र लहरों के विनाश से बचाते हैं – मैंग्रोव (Mangroves)
- अमृता देवी स्मृति पुरस्कार दिया जाता है – वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए
- विश्व बाघ शिखर सम्मेलन, 2010 आयोजित किया गया था – पीटर्सबर्ग में
- विश्व का प्रथम बाघ शिखर सम्मेलन (Tiger Summit) सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) में आयोजित किया गया था – 21 से 24 नवंबर, 2010 में मध्य
- नेपाल एवं भारत में वन-जीवन संरक्षण प्रयासों के रूप में ‘सेव’ (SAVE) नामक एक नया संगठन प्रारंभ किया गया है। ‘सेव’ का उद्देश्य है संरक्षण करना – टाइगर का
- टाइगर के खाल का प्रयोग आसन लगाने एवं सौन्दर्यीकरण के लिए किया जाता है – तिब्बती बौद्धों द्वारा
- यदि आप हिमलय से होकर यात्रा करते हैं, तो आपको वहां जिन पादपों को प्राकृतिक रूप में उगतेहुए दिखने की संभावना हैं – बांज और बुरूंश
- चीड़ इन वनों को मुख्य वृक्ष है परंतु अधिक आर्द्रता वाले भागों में बांज या ओक (Oak) जैसे चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष देखे जाते हैं – उपोष्ण कटिबंधीय वन
- प्रत्येक वर्ष कतिपय विशिष्ट समुदाय/जनजाति, पारिस्थितक रूप से महत्वपूर्ण, मास-भर चलने वाले अभियान/त्यौहार के दौरान फलदार वृक्षें की पौध का रोपण करते हैं। वे समुदाय/जनजाति हैं – गोंड कौर कोर्कू
- भारत के एक विशेष क्षेत्र में, स्थ्ज्ञानीय लोग जीवित वृक्षों की जड़ों का अनुवर्धन कर इन्हें जलधारा के आर-पार सुदृढ़ पुलों में रूपांतरित कर देते हैं। जैसे-जैसे समय गुज़रता है, ये पुल और आधिक और अधिक मज़बूत होते जोते हैं। ये अनोखे ‘जीवित जड़ पुल’ पाए जाते हैं –मेघालय में
- अगर किसी पेड़ को काटे बिना उससे पुल बना दिया जाए, तो उस पुल को कहते हैं – जीवित पुल या प्राकृतिक पुल
- भारतीय पशु कल्याण बोर्ड देश में पशुओं के कल्याण को बढ़ावा देने तथा पशु कल्याण कानूनों पर है –एक ‘सांविधिक सलाहकारी निकाय'(Statutory Advisory Body)
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) – पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत
- भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति प्रकाशित की गई – 1894 ई. में
- स्वतंत्र भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति तैयार हुई – वर्ष1952 में
- देश के एक-तिहाई अथवा 33.33 प्रशितश क्षेत्र में (पहाड़ी क्षेत्रों में दो-तिहाई अथवा 66.67 प्रतिशत क्षेत्र में) वन अथवा वृक्षावरण होने आवश्यक हैं – राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के अनुसार
- जिनका वृक्ष छत्र घनत्व 40-70 प्रतिशत के बीच होता है – मध्यम सघन वन
- जिनका वृक्ष छत्र घनत्व 10-40 प्रतिशत के मध्य होता है – खुले वन
- 10 प्रतिशत से कम वृक्ष घनत्व वालीनिम्नस्तरीय वन भूमि को वनावरण में शामिल नहींकिया जाता तथा इन्हें रखते हैं। – झाड़ी (Scrub) की श्रेणी में
- ISFR-2017 के अनुसार, देश में झाडि़यों का क्षेत्रफल 45.79 वर्ग किमी है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –40 प्रतिशत
- ISFR-2017 के अनुसार, देश में कुल वनावरण एवं वृक्षावरण देश के कुल भौगोलिक द्वात्र का है –40 प्रतिशत
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाला राज्य/संघीय क्षेत्र – लक्षद्वीप
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाला राज्य – मिजोरम
- कुल वृक्षावरण एवं वनावरण क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्य – मध्यप्रदेश > अरुणाचल प्रदेश > महाराष्ट्र > छत्तीसगढ़ > ओडिशा
- इसी दृष्टि से भौगोलिकक्षेत्र के सर्वाधिक प्रतिशत वाले 4 राज्य/संघ्ज्ञीय क्षेत्र – लक्षद्वीप > मिजोरम > अंडमान एवं निकाबार > अरुणाचल प्रदेश
- ISFR-2017 के अनुसार, क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले 5 राज्य क्रमश: – मध्यप्रदेश,अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं महाराष्ट्र
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिकवनावरण वाले 5 संघीय क्षेत्र क्रमश: – अंडमान एवं निकोबार, दादरा व नगर हवेली, दिल्ली, पुंडुचेरी तथा लक्षद्वीप
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले 5 राज्य/संघ्ज्ञीय क्षेत्र क्रमश: – लक्षद्वीप (90.33%), मिजोरम (86.27%), अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (81.73%), अरुणाचलप्रदेश (79.96%), तथा मणिपुर (77.69%)
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 5 राज्य क्रमश: –मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय तथा नागालैंड
- न्यूनतम वनावरण क्षेत्र वाले 5 राज्य क्रमश: हैं – हरियाणा, पंजाब, गोवा, सिक्किम एवं बिहार
- न्यूनतम वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 5 राज्य क्रमश: – हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात
- सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 4 संघीय क्षेत्र है क्रमश: – लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार, दादरा एवं नगर हवेली तथा चंडीगढ़
- वृक्षावरण की दृष्टि से ISFR-2017 में सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्य क्रमश: – महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात तथा जम्मू एवं कश्मीर
- न्यूनतम क्षेत्रफल वाले 5 राज्य क्रमश: – सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, गोवा एवं नागालैंड
- भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में सर्वाधिक वृक्षावरण वाले 5 राज्य क्रमश: – गोवा, केरल, गुजरात, झारखंड तथा तमिलनाडु
- कुल वृक्षावरण एवं वनावरण क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्य क्रमश: – मध्यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा
- भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत वाले 4 राज्य/संघीय क्षेत्र क्रमश: – लक्षद्वीप (97.00%), मिजोरम (88.49%), अंडमान एवं निकोबार (82.15%), तथा अरुणाचल प्रदेश (80.92%)
- ISFR-2017 के अनुसार, देश के पहाड़ी जिलों में कुल वनावरण 283,462 वर्ग किमी है, जो कि इन जिलों के भौगोलिक क्षेत्रफल का –22%