Environment Studies -Part-9
June 18, 2021

- यदि किसी महासागर का पादप प्लवक किसी कारण से पूर्णतया नष्ट हो जाए, तो इसका प्रभाव होगा –कार्बन सिंक के रूप में महासागर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा एवं महासागर की खाद्य श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- जलवायु परिवर्तन के खगोलीय सिद्धांतों से संबंधित है – पृथ्वी की कक्षा की उत्केंद्रता (अंडाकार कक्षीय मार्ग), पृथ्वी की घूर्णन अक्ष की तिर्यकता (झुकाव), विषुवअयन (पृथ्वी की सूर्य से अपसौर या उपसौर की स्थिति)
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित सिद्धांत दिए जो कि पृथ्वी की लंबी अविध्ा के कक्ष्ीय स्थिति से संबंधित है – मिलुटिन मिलान्कोविच (Milutin Milankovitch) ने
- पृथ्वी का धुरी पर अवस्था बदलना जलवायु परिवर्तन के लिए एक कारण है, यह कथन है – मिलुटिन मिलान्कोविच
- जलवायु परिवर्तन का क्रायोजेनिक संकेतक प्राप्त किया जाता है – आइस कोर से
- किसी ग्लेशियर या बर्फ की चादर को छेदकर प्राप्त किया गया, एक बेलनाकार नमूना है – हिम तत्व (Ice Core)
- भारत की जलवायु परिवर्तन पर प्रथम राष्ट्रीय क्रिया योजना प्रकाशित हुई –2008 ई.में
- भारत सरकार की जलवायु कार्य योजना (क्लाइमेट एक्शन प्लान) के आठ मिशन में सम्मिलित नहीं है –आण्विक ऊर्जा
- ग्लोबीय तापवृद्धि का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि इससे ध्रुवीय बर्फ की टोपियों के पिघलने के बाद वृद्धि होगी – समुद्र की सतह में
- ग्लोबीय तावृद्धि से विश्व के समस्त द्वीप डूब जाएंगे – मूंगे के
- यह सम्भावना है कि 2044 ई. तक फिजी डूब जाएगा और समुद्र तल के बढ़ने से इसी वर्ष तक एक गंभीर संकट छा जाएगा – नीदरलैंड्स पर
- IPCC के अनुसार, वर्ष 1900-2100 के बीच समुद्र सतह में वृद्धि का अनुमान है –33 से 0.45 मीटर वृद्धि का
- मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकोंने हाल में भू-अभियंत्रण द्वारा पैसिफिक महासागर के ऊपर ‘चमकीले बादल’ उत्पन्न कर ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। इसकी पूर्तिके लिए वातावरण में छिड़का जाता है – समुद्री जल
- वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जो पद्धतियां मृदा में कार्बन प्रच्छादन/संग्रहण में सहायक है –समोच्च बांध, अनुपद सस्यन एवं शून्य जुताई
- युनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसकागठन हुआ था – रियो डि जनेरियोमें 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण और विकास सम्मेलन (यू एन कॉन्फेरेंस ऑन एन्वायरनमेंट ऍण्ड डेवलपमेंट) में
- अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions) पद को कभी-कभी समाचारों में जिस संदर्भ में देखा जाता है, वह है – जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्ययोजना
- भारत की कार्ययोजना के तहत वृक्ष लगाकर कार्बन सिंक को बढ़ावा देना, प्रदूषण उपशमन, स्वच्छ ऊर्जा विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ऊर्जा दक्षता को बढ़ाना इत्यादि शामिल हैं – आईएनडीसीसी के लक्ष्यों में
- कानकुन सम्मेलन में प्रावधान किया गया – एक ‘हरित जलवायु कोष’ (GCF) का
- डरबन में आयोजित जलवायु परिवर्तन सभा में स्थापना हुई थी – हरित जलवायु कोष (जी.सी.एफ.) की
- विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन का सामना करने हेतु अनुकूलन और न्यूनीकरण पद्धतियों में सहायता देने के आशय से बनी है – हरित जलवायु निधि (ग्रीन क्लाइमेट फंड)
- विश्व का पहला देश जिसने भूमंडलीय तापनके प्रतिकरण के लिए कार्बन टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा – न्यूजीलैंड
- बड़े पैमाने पर चावल की खेती के कारण कुछ क्षेत्र संभवतया वैश्विक तापन में योगदान दे रहे हैं। इसके लिए कारण जिनको उत्तरदायी ठहराया जा सकता है – चावल की खेती से संबद्ध अवायवीय परिस्थितियां मेथेन के उत्सर्जन का कारक हैं, जब नाइट्रोजन आधारित उर्वरक प्रयुक्त किए जाते हैं, तब कृष्ट मृदा से नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।
- एशिया-पैसिफिक संघ के सदस्यों के संबंध में सही है – वे विश्व की 48% ऊर्जा का उपयोग करते हैं, वे विश्व की 48% हरित गृह गैसों के निस्सारण के लिए उत्तरदायीहैं, वे क्योटो प्रोटोकॉल को समर्थन देना चाहते हैं।
- ओजान परत मुख्यत- जहां अवस्थित रहती है, वह है – स्ट्रेटोस्फीयर
- स्ट्रेटोस्फीयर (समतापमंडल) के निचले हिस्से में पृथ्वी से लगभग 10 से 50 किमी की ऊँचाई पर अवस्थित रहती है – ओजोन परत
- ओजोन परत पृथ्वी से करीब ऊँचाई पर है –20 किलोमीटर
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन के लिए सत्य नहीं है – यह ‘ग्रीन हाउस‘ प्रभाव में योगदान नहीं देती है
- क्लोरीन, फ्लोरीन एवं कार्बन के मानव निर्मितयौगिक हैं – CFC
- ओजोन छिद्र के लिए उत्तरदायी है – CFC
- वायुमंडल में उपस्थित ओजोन द्वारा जो विकिन अवशोषित किया जाता है, वह है – पराबैंगनी
- ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है – ओजोन (O3)
- ऊपरी वायुमंडल में ओजोन परत के रूप में पृथ्वी पर जीवन को बचाती है – अल्ट्रावायलेट किरणों से
- ओजोन परत मानव के लिये उपयोगी है, क्योंकि – वह सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों को पृथ्वी पर नहीं आने देती
- वायुमंडल में उपस्थित ओजोन परत अवशोषित करती है – अल्ट्रावायलेट किरणों को
- सूर्य से आने वाला हानिकारक पराबैंगनी विकिरण कारण हो सकता है –त्वचीय कैंसर का
- अधिक समय तक सूर्य के पराबैंगनी विकिरण के शरीर पर पड़ने पर हो सकता है – डीएनए में आनुवांशिक उत्परिवर्तन
- ‘ओजोन परत संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है – 16 सितंबर को
- क्लोरीन, फ्लोरीन एवं ऑक्सीजन से बना मानव निर्मित गैसीय व द्रवीय पदार्थ है जो कि रेफ्रिजरेटर तथा वातानुकूलित यंत्रों में शीतकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है – क्लोरोफ्लोरोकार्बन
- वायुमंडल के ध्रुवीय भागों में ओजोन का निर्माण धीमी गति से होता है। अत: ओजोन के क्षरण का प्रभाव सर्वाधिक परिलक्षित होता है – ध्रुवों के ऊपर
- ओजोन परत को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाला प्रदूषक है – क्लोरोफ्लोरोकार्बन
- वायुमंडल में जिसकी उपस्थिति से ओजोनास्फियर में ओजोन परत का क्षरण होता है –क्लोरोफ्लोरोकार्बन
- ओजोनपरत की क्षीणता के लिए उत्तरदायी नहीं है – विलायक के रूप में प्रयुक्त मेथिल क्लोरोफार्म
- ओजोनपरत की क्षीणता के लिए उत्तरदायी गैसें हैं – सीएफसी, हैलोजन्स, नाइट्रस ऑक्साइड,ट्राइक्लोरोएथिलीन, हैनोन-1211, 1301
- वह ग्रीन आउस र्गस जिसके द्वारा ट्रोपोस्फियर में ओजोन प्रदूषण नहीं होता है – कार्बन मोनो ऑक्साइड
- ओजोन छिद्र का निर्माण सर्वाधिक है – अंटार्कटिका के ऊपर
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जिसके रक्षण से संबंधित है, वह है – ओजोन परत
- 1 जनवरी, 1989 से प्रभावी हुआ था – मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल संबंधित है – ओजोन परत के क्षय को रोकने से
- ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल’ संबंधित है –क्लोरोफ्लोरोकार्बन से
- समतापमंडल में ओजोनके स्तर को प्राकृतिक रूप से विनियमित किया जाता है –नाइट्रोजन डाइऑक्साइड द्वारा