(Antar-Suchi) ||अंतर-सूची||
February 21, 2021
(1) स्वर और व्यंजन वर्ण
स्वर वर्ण | व्यंजन वर्ण |
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(a) स्वर वर्णों का उच्चारण स्वतः होता है। | (a) व्यंजन वर्णो का उच्चारण स्वर वर्णों की सहायता से होता है। |
(b) स्वर वर्णों का उच्चारण लगातार बिना रुके होता है। | (b) व्यंजन वर्णों का उच्चारण रुक-रुक कर होता है। |
(c) स्वर वर्णों की संख्या 11 है। जैसे- अ, आ, …….. औ। | (c) व्यंजन वर्णों की संख्या 33 है। जैसे- क्, ख् ………. ह्। |
(2) भाषा और व्याकरण
भाषा | व्याकरण |
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(a) भाषा परिवर्तनशील होती है। | (a) व्याकरण रूढ़ बन जाता है। |
(b) पहले भाषा होती है। | (b) व्याकरण भाषा के पीछे बनाया जाता है। |
(c) भाषा प्रवहमान होती है। यह यादृच्छिक होती है। | (c) व्याकरण भाषा के प्रवाह को यथासंभव रोकता है। |
(3) भाषा और बोली
भाषा | बोली |
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(a) भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है। | (a) बोली का क्षेत्र सीमित होता है। |
(b) एक भाषा में कई बोलियाँ होती हैं। | (b) बोली अकेली हुआ करती है। |
(c) विश्व-साहित्य में भाषा का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है; क्योंकि भाषा में साहित्य-सृजन होता है। | (c) बोली का विश्व-साहित्य में कोई महत्त्वपूर्ण स्थान नहीं होता। इससे साहित्य-सृजन भी नहीं होता। |
(d) भाषा को सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक आदि मान्यताएँ प्राप्त होती हैं। जैसे- ‘खड़ी बोली’ हिन्दी की एक भाषा है। | (d) बोली को मात्र सामाजिक क्षेत्रीय मान्यता प्राप्त होती है। जैसे- अंगिका एक बोली है। |
(4) अल्पप्राण और महाप्राण
अल्पप्राण | महाप्राण |
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(a) अल्पप्राण में हकार- जैसी ध्वनि नहीं निकलती है। | (a) महाप्राण में हकार- जैसी ध्वनि होती है। |
(b) सभी स्वर वर्ण और प्रत्येक वर्ग का 1ला, 3रा और 5वाँ वर्ण तथा समस्त अन्तःस्थ वर्ण अल्पप्राण है। | (b) प्रत्येक वर्ग का 2रा और 4था तथा समस्त उष्म वर्ण महाप्राण है। |
(c) अल्पप्राण के उच्चारण में कम श्रम करना पड़ता है। | (c) महाप्राण वर्णों का उच्चारण अधिक श्रमपूर्वक करना पड़ता है। |
(5) घोष एवं अघोष वर्ण
घोष वर्ण | अघोष वर्ण |
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(a) घोष वर्णों के उच्चारण में स्वरतंत्रियाँ परस्पर झंकृत होती है। | (a) अघोष वर्णों के उच्चारण में ऐसी झंकृति नहीं होती है। |
(b) घोष में केवल नाद का ही उपयोग होता है। | (b) अघोष में केवल श्वास का उपयोग होता है। |
(c) प्रत्येक वर्ग का 3रा, 4था और 5वाँ वर्ण, सभी स्वर वर्ण, य, र, ल, व और ह, घोष वर्ण हैं। | (c) प्रत्येक वर्ग का 1ला और 2रा तथा श, ष एवं स अघोष हैं। |
(6) शब्द और पद
शब्द | पद |
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(a) शब्द अनेकार्थी होते हैं, जो वाक्य से स्वतंत्र होते हैं। | (a) पद वाक्य में प्रयुक्त मुख्यतः एक अर्थ का बोध कराता है। |
(b) शब्द कोई शाब्दिक इकाई हो सकता है, जैसे- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, अव्यय आदि। | (b) पद वाक्य में रहने के कारण किसी एक शाब्दिक इकाई का काम करता है। उदाहरण- फल पका है- इसमें फल एक पद है। |
(7) रूढ़ शब्द और यौगिक शब्द
रूढ़ शब्द | यौगिक शब्द |
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(a) रूढ़ शब्द का खण्ड सार्थक नहीं होता है। | (a) यौगिक शब्द का खण्ड सार्थक होता है। |
(b) रूढ़ शब्द मात्र वर्णों का संयोग होता है। जैसे- कल, जल, घर आदि। | (b) यौगिक शब्द दो रूढ़ शब्दों का मेल से बनता है। जैसे- जल + चर= जलचर |
(c) प्रत्येक वर्ग का 3रा, 4था और 5वाँ वर्ण, सभी स्वर वर्ण, य, र, ल, व और ह, घोष वर्ण हैं। | (c) प्रत्येक वर्ग का 1ला और 2रा तथा श, ष एवं स अघोष हैं। |
(8) तत्सम शब्द और तद्भव शब्द
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द |
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तत्सम संस्कृत के मूल शब्द होते हैं, जो हिन्दी में भी प्रयुक्त होते हैं। जैसे- अग्नि, पर्यंक, आम्र आदि। | तद्भव शब्द तत्सम का विकसित या परिवर्तित रूप होता है। जैसे- आग, पलंग, आम आदि। |